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देवताओं की स्तुति ,वंदना ओर श्लोक जो आपको आने चाहिए ( har har mahadev )

प्रातः मंगलाचरण श्लोक पाठ :- अपने बच्चों  को निम्नलिखित श्लोकों को नित्य दैनन्दिनी में शामिल करने हेतु संस्कार दें एवं खुद भी पढें हम हिन्दू भूला रहे है और बोत लोग भूलते जा रहे है आप को ओर आप के परिवारजनों को ये श्लोक आने चाहिए ओर आपने बचो को सीखना भी चाहिए अपनी सांस्कृति भूल रहे है लोग || ॐ नमः शिवय || Har har mahadev Jai shree mahakal Om namah shivay Jai shree ram => ​प्रात: कर-दर्शनम्​ कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती। करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्॥ => ​पृथ्वी(earth) क्षमा प्रार्थना​ समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमंडिते। विष्णु पत्नि नमस्तुभ्यं पाद स्पर्शं क्षमस्व मे॥ => ​त्रिदेवों के साथ नवग्रह स्मरण​ (tri dev ke sath nav grah ka samran ) ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानु: शशी भूमिसुतो बुधश्च। गुरुश्च शुक्र: शनिराहुकेतव: कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्॥ => ​स्नान मन्त्र​ ( snan matra) गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलेस्मिन् सन्निधिं कुरु॥ => ​सूर्यनमस्कार​ (surya namskar ) ॐ सूर्य आत्मा जगतस्...

शिव ताण्डव स्तोत्र (शिवताण्डवस्तोत्रम्) shiv tandav strom

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|| Om namah shivay || ||ॐ नमः शिवाय || || Jai mahakal || || ॐ जय श्री महाँकाल || || Har har mahadev ||  || हर हर महादेव || बोत लोगो को ये बात पता होगी ओर बोहोत लोग इस बात से अनजान भी होंगे आज आपको बताते है को शिव ताण्डव स्तोत्र (शिवताण्डवस्तोत्रम्) किसने दिया और कब शिव जी के बोत ही बड़े भक्त महान विद्वान एवं परम शिवभक्त लंकाधिपति रावण द्वारा विरचित भगवान शिव का स्तोत्र है। [ शिव महापुरण कथा रावण का अहंकार  (ravan ka ahnkar) ] शिवमहापुराण (shivmahapuran) कि कथा है ये रावण का अहंकार शिवभक्त रावण ने कैलाश पर्वत ही उठा लिया था और जब पूरे पर्वत को ही लंका ले चलने को उद्यत हुआ उस समय अपनी शक्ति पर पूर्ण अहंकार भाव में था। महादेव को उसका यह अहंकार पसंद नही आया तो भगवान् शिव ने अपने अंगूठे से तनिक सा जो दबाया तो कैलाश फिर जहां था वहीं अवस्थित हो गया। शिव के अनन्य भक्त रावण का हाथ दब गया और वह आर्त्तनाद कर उठा - "शंकर शंकर" - अर्थात क्षमा करिए, क्षमा करिए, और स्तुति करने लग गया; जो कालांतर में शिव तांडव स्तोत्र कहलाया। इस स्रोत की भाषा अनुपम और जटिल है, पर महाविद्वान...

प्रभु श्री राम और महाँकाल का युद्घ (mahadev or shree ram ka yuddha)

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प्रभु श्री राम और महाँकाल का युद्घ (mahadev or shree ram ka yuddha) || ॐ नमः शिवाय || प्रभु श्री राम और महादेव का युद्ध बहुत कम ही लोगों को पता है कि मर्यादा पुरूषोत्तम राम और महादेव के बीच प्रलयंकारी युद्ध हुआ। पुराणों में विदि्त दृष्टांत के अनुसार यह युद्ध श्रीराम के अश्वमेघ यज्ञ के दौरान लड़ा गया। बात उन दिनों कि है जब श्रीराम का अश्वमेघ यज्ञ चल रहा था। यज्ञ का अश्व कई राज्यों को श्रीराम की सत्ता के अधीन किए जा रहा था। इसी बीच यज्ञ अश्व देवपुर पहुंचा जहां राजा वीरमणि का राज्य था. राजा वीरमणि भगवान शंकर की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया था और महादेव ने उन्हें उनकी और उनके पूरे राज्य की रक्षा का वरदान दिया था। महादेव के द्वारा रक्षित होने के कारण कोई भी उनके राज्य पर आक्रमण करने का साहस नहीं करता था। जब यज्ञ का घोड़ा उनके राज्य में पहुंचा तो राजा वीरमणि के पुत्र रूक्मांगद ने उसे बंदी बना लिया। अश्व को बंदी बनाने के कारण अयोध्या और देवपुर में युद्ध होना लाजमी था। राजा वीरमणि अपने भाई वीरसिंह और अपने दोनों पुत्र रूक्मांगद और शुभांगद के साथ विशाल सेना ले कर युद्ध क्षेत्र ...

एक करोड़ से भी ज्यादा शिवलिंग है यहाँ (10m shivaling temple)

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|| ॐ नमः शिवाय || Om jai jai mahakal  Har har mahadev  Aap ko aaj hum ese mandir ki baat krenge jaha par he 10m se bhi jyada shivling  जी हा 1 corer  से भी ज्यादा शिवलिंग है ओर उनकी संख्या दिन ब दिन बढ़ती ही जाती है  10m se bhi jyada shivling kese hue or ye kaha he jaan ne ke liye pura blog dekhna पावन, सुंदर और शांत प्रकृति के हरियाले आंचल में बसा है महादेव का एक ऐसा मंदिर जो खुद बयां करता है इस मंदिर के सबसे अनोखे होने की कहानी. मन को हर लेने वाली इसकी सुंदरता में स्वयं महादेव का वास होता है और यहां कण-कण शिव की शक्ति की कहानी सुनाता है . इसी मंदिर में दुनिया के सबसे ऊंचे शिवलिंग के साथ ही करीब 1 करोड़ शिवलिंग भी हैं. आप को सब शिव भक्तों का स्वगात है मेरे ब्लॉग में आज आप को ऐसे मन्दिर के बरेंमे बताया जाएगा जो कि आपने आप मे अदभुत है शिव जी की क्रिपा सब पे होती है जल्दी से तभी तो उन्हें भोलेनाथ केहते है पर ऐसी बात का प्रमाण है ये मंदिर जहाँ 1 करोड़ से भी ज्यादा शिवलिंग है आपने महादेव के कई मन्दिर के दर्शन किए होंगे, उनके कई रूप भी देखे ...

शिव जी को देवो के देव महादेव क्यों कहते है

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शिव जी को देवो के देव महादेव क्यों केहते है Mera Instagram account Devo ke dev mahadev  सब लोग यही सोचते है कि उन्हों ने हलाहल विष पीया था समुद्र मंथन से एशिलिये उन्हें देवो के देव महादेव कहते है ये संपूण सत्य नही है पर आप सब को पता होंतो जब विष नही पिया था उससे पेहले से ही देवो के  देव महादेव कहते है सब देवी देवता ओर ये सम्पूर्ण जगत शिव या महादेव हमारे हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ,गंगाधार के नाम से भी जाना जाता है भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन ...

मेर पेहला पोस्ट

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जय महाकाल सब को आप को याद होगा मेने थोड़े दिन पहले बोला था कि आप लोगो के लिये ब्लॉग लिखूंगा में को ये सब आता नही है पर अच्छे से सिख के या लिखा जाएगा ओर सब शिव जी के लिये लिखा जाएगा ॐ नमः शिवाय शिवमहापुरण के बारे में लिखुँगा जो कि मेरे पास बुक है उसी में से ओर शिव जी की सब लीला के बारे में लिखेंगे शिव जी कृपा बनी रही तो बोत सारा लिखेंगे आसा है कि में जितना भी जनता ही या जो भी रिसर्च कर के लिखुँग आप लोगो को अच्छा लगेगा जय श्री महाँकाल ॐ नमः शिवाय हर हर महादेव shiv ji ka dash | mahadev ke diwane shiv ji ka dash | mahadev ke diwane shiv ji ka dash | mahadev me diwane